पीटी उषा का जीवन परिचय
पीटी उषा भारत प्रतिभावान एथलीट है।
पीटी उषा का नाम न केवल भारत में अपितु विश्व में एक जाना पहचाना एथलीट के नाम से जाना जाता है। लगभग1979से उन्होंने दो दशक तक अपना प्रदर्शन एवं प्रतिभा से भारतवर्ष का नाम संपूर्ण विश्व में ख्याति मान बनाया.
क्रमांक | जीवन परिचय बिंदु | पी टी उषा जीवन परिचय |
1. | नाम | पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा |
2. | पिता का नाम | ई पी एम पैतल |
3. | माता का नाम | टी वी लक्ष्मी |
4. | जन्म | 27 जून 1964 में केरल के पय्योली गांव में |
5. | पति | वी श्रीनिवासन |
6. | बेटा | उज्जवल |
7. | सम्मानित अवार्ड | अर्जुन अवार्ड, पद्मश्री, ’क्वीन ऑफ़ इंडियन ट्रैक, स्पोर्ट्स विमेन ऑफ दी मिलियन |
8. | धर्म | हिन्दू |
पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा का जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली गांव में हुआ था । पीटी उषा माता का नाम टी वी लक्ष्मी और उनके पिता का नाम ई पी एम पैतल है। बचपन में पीटी उषा { PT Usha }की सेहत खराब रहती थी।
धीरे धीरे प्राइमरी स्कूल तक उन्होंने अपनी सेहत सुधार ली थी और वह एक महान एथलीट बनी। बचपन से ही पी टी उषा को एथलीट गतिविधियों में बहुत रुचि थी।
पीटी उषा की शादी
1990 में बीजिंग खेलों में खेलने के बाद। पीटी उषा ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया। उन्होंने वी श्रीनिवासन से 1991 में शादी की। इसके बाद उनका एक बेटा उज्जवल हुआ।
पीटी उषा के पति श्रीनिवासन एक खिलाड़ी थे. वे कबड्डी के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे. श्रीनिवासन हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करते रहते थे कहां जाता है की पीटी उषा के संन्यास के बाद फिर से वापसी श्रीनिवासन के प्रोत्साहन के बाद ही हुई.
कैरियर की शुरुआत
केरल सरकार द्वारा 1976 में महिला खेल सेंटर की शुरुआत की तब पीटी उषा मात्र 12 वर्ष की थी इस प्रतियोगिता में भाग लिया .लगभग 40 महिलाओं ने भाग लिया और उस प्रतियोगिता के बाद पीटी उषा का ट्रेनिंग के लिए चयन हुआ।
उन्होंने 1979 नेशनल स्पोर्ट्स गेम चैंपियनशिप जीती तब वे पहली बार सुर्खियों में आई .
उनके पहले कोच O.M. nambiar थे
कराची में हुए पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट से पीटी उषा ने अपने एथलीट तौर पर अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत की। 1980 कराची में हुए नेशनल मीट एथलीट में उन्होंने ने चार गोल्ड भारत के लिए अर्जित किए.
भारत की इस 16 वर्षीय लड़की ने पाकिस्तान जो कि भारत का एक दुश्मन देश है उसमें भारत का सर ऊंचा किया
उन्होंने 200 मीटर की रेस जो 1982 में वर्ल्ड जूनियर इनविटेशन मीट में गोल्ड हासिल किया. साथी 100 मीटर में ब्रोंज मेडल जीता.
एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप जो 1982 में कुवैत में रखी गई जिसमें पीटी उषा ने 400 मीटर की रेस में नया रिकॉर्ड कायम किया और गोल्ड मेडल जीता.
पीटी उषा हमेशा अपनी परफॉर्मेंस में अत्यधिक सुधार करने के प्रयास करती रहती थी.
1984 में लॉस एंजेलिस में हुए ओलंपिक के सेमीफाइनल में के फर्स्ट राउंड में 400 मीटर की दौड़ में अच्छी सफलता प्राप्त की.
परंतु वेब फाइनल में हार गए.
यह पहली बार हुआ था जब कोई भारतीय महिला एथलीट किसी फाइनल राउंड में पहुंची थी और 55.42 सेकेंड में रेस पूरी की जो भारत के इवेंट में 1st नेशनल रिकॉर्ड हैं.
इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैंपियनशिप जो 1985 में खेला गया उसमें पीटी उषा ने हिस्सा लिया.
इंडोनेशिया के एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैम्पियनशीप में उन्हें 5 गोल्ड और 1 ब्रोज मेडल जीता10 वे एशियन गेम्स जो सीओल में 1986 में हुआ जिसमें पी टी उषा ने 200 मीटर, 400 मीटर 400 मीटर बाधा एवं 400 मीटर रिले रेस में हिस्सा लिया और वे 4 रेस में गोल्ड मेडल जीते और उन्होंने एक विश्व रिकॉर्ड कायम किया
जो कि एक ही एथलीट ने एक साथ इतने मेडल एक ही इवेंट में जीते .एक अपना आप में विश्व रिकॉर्ड था
1988 में सीओल .में ओलंपिक गेम्स का आयोजन हुआ उस समय पीटी उषा को पैर में चोट लगी थी परंतु उन्होंने अपने जज्बे को कमजोर होने नहीं दिया और ओलंपिक में भाग लिया लेकिन वह एक भी मैच जीत नहीं पाए.
दिल्ली में आयोजित एशियन ट्रेड फेडरेशन मीट जो 1979 में हुआ उसमें अपनी परफॉर्मेंस का जबरदस्त तैयारी के साथ उतरी और उन्होंने 4 गोल्ड मेडल और 2 सिल्वर मेडल जीते.
यह वह दौर था जब पी टी उषा अपनेरिटायरमेंट की घोषणा की सोच रही थी
1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में हिस्सा लिया और उन्होंने 3 सिल्वर मेडल अपने नाम की
और 1990 में संन्यास ले लिया। 34 वर्ष की उम्र में उन्होंने एथलीट्स में वापसी की और 1998 जापान के फुकुओका में आयोजित एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट में हिस्सा लिया.
एशियन ट्रैक फेडरेशन मीट जापान में उन्होंने 200 एवं 400 मीटर की रेस में ब्राउज़र मेडल जीते और अपनी खुद की टाइमिंग में भी सुधार किया साथ ही एक नया नेशनल रिकॉर्ड कायम किया.
34 वर्ष की उम्र में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर के यह दर्शाया की प्रतिभा की कोई उम्र नहीं होती है . पीटी उषा में. टैलेंट कितना कूट-कूट कर भरा हुआ है. अंत में 2000 में उन्होंने हमेशा के लिए एथलीट से संन्यास ले लिया.
सम्मानित अवार्ड
1. 1984 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया
2.’क्वीनऑफ़ इंडियन ट्रैक’ एवं ‘पय्योली एक्सप्रेस’ नाम का ख़िताब दिया गया है
3. उन्हें 1986 में देश के 4th बड़े सम्मान पद्मश्री से नवाजा गया
4. उन्हें को स्पोर्ट्स विमेन ऑफ दी मिलियन खिताब से नवाजा गया
5. उन्हें को स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी सेंचुरी से नवाजा गया
6.एशियन एथलीटमीट जो जकार्ता में खेला गया उसमें पीटी उषा को बेहतर खेल के लिए ग्रेट विमेन एथलीट्स का खिताब दिया गया
7.उन्हें सन 1985-86 में वर्ल्ड ट्रॉफी से सम्मानित किया गया
8.एशियनगेम्स के बाद 1986 में खेला गया Adidas Golden Shoe Award for the Best Athlete का खिताब दिया गया
वर्तमान में व्यवसाय { पेशा }
आज पीटी उषा जी केरल में एक एथलीट स्कूल ”ऊषास्कूल ऑफ एथलेटिक्स ”चलाती हैं, जिसके लिए केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने उन्हें हर संभव मदद की . जहां वह युवा एथलीटों को प्रशिक्षित करती हैं। केरल के कोझिकोड जिले किनालूर में 30 एकड़ क्षेत्र में यह अकादमी बनाई है .
उनके साथ टिंटू लुकाका भी हैं, जिन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक में महिलाओं की 800 मीटर सेमीफाइनल दौड़ के लिए क्वालीफाई किया था।
केंद्र सरकार के द्वारा 8 .5 करोड रुपए की मदद से आठ लेन का सिंथेटिक ट्रैक बनाया गया है अथवा एक मड़ ट्रैक भी बनाया गया
पीटी उषा की स्कूल में हॉस्टल की भी व्यवस्था है अथवा स्कूल में मल्टी जिम की भी व्यवस्था है
ऊषा ने बताया कि अब तक वह 19 एथलीटों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं जिनमें से छह राष्ट्रीय शिविर में हैं और छह राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक जीत चुके हैं।
पीटी उषा जी की प्रतिभा का पूरे देश में लोग सम्मान करते हैं, और साथ ही अपने पेशा के लिए जसबे का स्वागत करते हैं।
नरेंद्र मोदी का ट्वीट
उल्लेखनीय पीटी उषा जी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा हैं। खेलों में उनकी उपलब्धियों को व्यापक रूप से जाना जाता है, लेकिन पिछले कई वर्षों में नवोदित एथलीटों का मार्गदर्शन करने के लिए उनका काम उतना ही सराहनीय है। उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने पर बधाई।
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